कोरोना वायरस ने दुबरा डराना शुरू कर दिया है। कोविड के नए JN.1 वेरिएंट ने अब 40 से भी ज्यादा देशों में फैलाव को दर्शाया है। और हैरान करने वाली बात ये ह के कोरोना के नए वैरिएंट J.N 1 के 21 मरीज सक्रिय है, जो एक चिंताजनक विषय है। इसके बारे में और जानकारी के लिए, निचे पढ़े |
कोरोना वायरस के संक्रमण की तीन लहरों से दुनियाभर में जो तबाही मची थी, उसके बाद लोगों ने थोड़ी राहत महसूस की थी कि शायद सब ठीक हो रहा है, लेकिन अब एक बार फिर से कोरोना के नए संस्करण ने डराना शुरू कर दिया है। इस नए संस्करण, JN.1, के अब तक 40 देशों में मामले सामने आए हैं। वर्तमान में भारत में कोविड संक्रमण के लगभग 2300 से ज्यादा सक्रिय मामले हैं, जिसमें नए संस्करण JN.1 के 21 मामले शामिल हैं।
कोरोना के नए संस्करण JN.1 के बारे में जानकारी सामने आई है कि इसका पहला मामला अगस्त में लक्जमबर्ग में सामने आया था। इसके बाद, यह धीरे-धीरे 36 से 40 देशों में फैल गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे “वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट” कहा है। कोविड के कारण बीते दो हफ्ते में देश के अंदर 16 मौतें हुई हैं, लेकिन इन व्यक्तियों को पहले से ही कई गंभीर बीमारियां थीं, जिन्हें कोमोरबिडिटीज कहा जाता है।
जीनोम सीक्वेसिंग के लिए भेजे सैंपल
जीनोम सीक्वेसिंग के लिए सैंपल भेजने का मतलब है विशेष तकनीकों का उपयोग करके एक जीवन या वायरस के जीनोम (उसकी आनुक्रमणिका या डीएनए / आरएनए) की सीक्वेंसिंग करना। इस प्रक्रिया का उद्देश्य जीवन या विषाणु के जीनोम में किसी भी विशेष बदलाव (म्यूटेशन) या नए वेरिएंट्स की पहचान करना हो सकता है।
इसके लिए, रोगी से एक सैंपल लेते हैं, जिसमें उनके डीएनए या आरएनए का सारा जीनोम होता है। फिर इस सैंपल का डीएनए या आरएनए सीक्वेसिंग मशीनों के माध्यम से आनुक्रमित किया जाता है। इस प्रक्रिया से उन विशेष जीनोमिक बदलावों को पहचाना जा सकता है जो उस रोगी के संक्रमण के लिए चिंह हो सकते हैं।
जीनोम सीक्वेसिंग के माध्यम से विशेष रूप से कोविड-19 वायरस के नए संस्करणों या वेरिएंट्स की पहचान हो सकती है जो स्वास्थ्य निगरानी और उपचार में मदद करती है।
इस घड़ी, जब दुनिया कोरोना महामारी से लड़ रही है, एक व्यक्ति की मौत का समाचार आया है जो बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में 15 दिसंबर को हुई है। इस व्यक्ति को कोरोना संक्रमण से मृत्यु हुई थी, और इसके अलावा उन्हें अन्य कई बीमारियों से भी पीड़ा हो रही थी। उनके सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए इकट्ठा किया गया है, जिससे वैज्ञानिक और चिकित्सक उनके कोरोना संस्करण को और अधिक विशेष रूप से अध्ययन कर सकते हैं। यह जाँच से उन्हें मौत के पीछे के कारणों का और संक्रमण के विकास की सही पिछलगुआ जानकारी मिल सकती है।